हिंदी दिवस की कविताएं

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बर्फ...!⛄⛄ अंतहीन श्वेत सैलाब बनकर न जाने कौन सा रहस्य है इसके भीतर ठंड से ठिठुरती मौत लगतीं हों जैसे कोई सौत पैनी धारों से छलनी कल देती हैं उंगलियां या,बर्फ ...

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